tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post3158476859559322145..comments2023-09-28T03:22:45.585-07:00Comments on अनहद कोलकाता: ब्रजेश कुमार पांडेय की दो कविताएंविमलेश त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-71304300769551123092012-08-21T21:26:33.295-07:002012-08-21T21:26:33.295-07:00अभी तक मुझसे मिलने
कोई नहीं आया
मेरे गाँव
उन्हें ...अभी तक मुझसे मिलने <br />कोई नहीं आया<br />मेरे गाँव<br />उन्हें आशंका है न<br />कि मै नहीं मिलूँगा,...<br />बहुत अच्छा लगा यह पढकर ,.. शुक्रिया ।<br /><br />Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-52669811613230141762010-12-04T12:04:14.525-08:002010-12-04T12:04:14.525-08:00सुंदर कविताएं..खासकर दूसरी वाली..समय की भट्ठी मे ग...सुंदर कविताएं..खासकर दूसरी वाली..समय की भट्ठी मे गलते-पिघलते आदमी की पहचान कब कितने सांचों मे ढ़ल कर बदल-बदल कर सामने आती है..यह बड़े संवेदनशील तरीके से कहती कविता..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-64479585661297409302010-12-04T08:19:29.127-08:002010-12-04T08:19:29.127-08:00जब मै पूछता हूँ
किसी से उसका पता
वह कह उठता है
...जब मै पूछता हूँ <br />किसी से उसका पता <br />वह कह उठता है <br />पता नही <br />कब कहाँ रहूँ <br />!!!!!!!!!<br />लाजवाब !!!सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-64137186392154642832010-11-26T20:39:39.195-08:002010-11-26T20:39:39.195-08:00मै नहीं मिलूँगा
bahut achichi lagiमै नहीं मिलूँगा<br /><br />bahut achichi lagiपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-71126213512888191122010-11-14T11:19:24.702-08:002010-11-14T11:19:24.702-08:00बहुत ही अच्छी कविताएँ है... इस घटाटोप समय में जो स...बहुत ही अच्छी कविताएँ है... इस घटाटोप समय में जो संवेदना का क्षरण और आदमी का भटकाव है उसे ये कविताएँ सहजता से कहती है... कवि मैना से सवाल करता है... मैना कभी भारतीय जन मानस के लोक राग रंग की हिस्सेदार रही है... अर्थात सीधे-सीधे न कहते हुए भी कवि मनुष्य के हाथ से छूटता हुआ उसका गाँव उसके लोक राग की बातें करता है... इन बातों से एक रास्ता निकलता है... और वो रास्ता अपने को पहचानने की,विश्वास की भरोसा की... कुला मिलाकर ये कविताएँ आदमी के जड़ो की बात करती है...shesnath pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02346761750600988046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-51294071213185151842010-11-08T06:19:24.564-08:002010-11-08T06:19:24.564-08:00आपका आभार....आपका आभार....विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-65655206398756625102010-11-08T05:58:32.590-08:002010-11-08T05:58:32.590-08:00यदि घड़ी के सेकंडों के बीच की
बढ़ भी जाए दूरी
तो...यदि घड़ी के सेकंडों के बीच की <br />बढ़ भी जाए दूरी <br />तो भी नई पांख लिए परिंदे <br />कुँए के पानी में दिखते आकाश में <br />नापेंगे ऊंचाई <br />डुप्प से… .<br /><br />धन्यवाद...अच्छी कविता के लिये.......Arpitahttps://www.blogger.com/profile/00452777778593712485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-44788743400347353242010-11-08T00:00:59.063-08:002010-11-08T00:00:59.063-08:00Thanks a lot....Thanks a lot....विमलेश त्रिपाठीhttp://bimleshtripathi.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-44833867623891646872010-11-07T18:50:47.924-08:002010-11-07T18:50:47.924-08:00बहुत गहन रचनायें पढ़ने का मौका लगा!!बहुत गहन रचनायें पढ़ने का मौका लगा!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com