tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post6844163181605668263..comments2023-09-28T03:22:45.585-07:00Comments on अनहद कोलकाता: राकेश रोहित की पाँच प्रेम कविताएँविमलेश त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-26594789801235846212017-10-02T10:19:15.552-07:002017-10-02T10:19:15.552-07:00आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी...आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी कही बातों पर निरंतर विचार कर रहा हूँ। निश्चय ही मेरी कोशिश रहेगी कि एक नया शिल्प रच सकूँ। आपकी टिप्पणी इसमें हमेशा मदद करती है। हार्दिक धन्यवाद!राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-61492836981132755472017-10-02T10:17:51.830-07:002017-10-02T10:17:51.830-07:00आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी...आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी कही बातों पर निरंतर विचार कर रहा हूँ। निश्चय ही मेरी कोशिश रहेगी कि एक नया शिल्प रच सकूँ। आपकी टिप्पणी इसमें हमेशा मदद करती है। हार्दिक धन्यवाद!राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-65252081245846050152017-10-02T10:17:03.044-07:002017-10-02T10:17:03.044-07:00जी बहुत शुक्रिया आपका! आभारी हूँ।जी बहुत शुक्रिया आपका! आभारी हूँ।राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-72128119662578615492017-07-12T02:21:47.811-07:002017-07-12T02:21:47.811-07:00कविता के परिचय में जो भाषा और संवेदना से जुड़ाव की...कविता के परिचय में जो भाषा और संवेदना से जुड़ाव की बात की गयी है, वह बिलकुल सही है। राकेश जी की कविताओं में इसकी सघनता मिलती है। राकेश जी को पहले भी पढ़ता रहा हूँ और इससे बेहतर पढ़ चुका हूँ । कभी-कभी तो लगता है, जैसे उन्होंने अपनी एक भाषा बना ली है, जो आकर्षक है, लेकिन अंततः एक सीमा बनती जा रही है। उसे तोड़ने की भी आवश्यकता है। जिसने एकबारगी राकेश जी को यहाँ पढ़ा वे बहुत प्रभावित होंगे, लेकिन जो पहले से पढ़ते रहे हैं, उनकी तुलना उन से ही करने लगेंगे।asmurarihttps://www.blogger.com/profile/16869905021434835844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-78523583837127997152017-07-11T05:46:24.558-07:002017-07-11T05:46:24.558-07:00प्रेम को संशय से मुक्त करने की चाह में नए मुहावरे...प्रेम को संशय से मुक्त करने की चाह में नए मुहावरे तलाशती कविताएं। शुभकामनाएं bodhihttps://www.blogger.com/profile/14658466499365541923noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-65928439224477761582017-07-09T08:32:50.344-07:002017-07-09T08:32:50.344-07:00This comment has been removed by the author.राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-37563730848712507292017-07-09T08:32:25.719-07:002017-07-09T08:32:25.719-07:00बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-91602938511930366182017-07-09T08:31:33.925-07:002017-07-09T08:31:33.925-07:00बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक आभार!बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक आभार!राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-31760903421579533032017-07-09T04:18:49.878-07:002017-07-09T04:18:49.878-07:00अच्छी कवितायेँ अच्छी कवितायेँ Manjusha negihttps://www.blogger.com/profile/07193600241204974261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-91172643032822976022017-07-09T01:05:40.720-07:002017-07-09T01:05:40.720-07:00भौतिकता का अतिक्रमण करती पराभौतिक में अपनी जड़ें खो...भौतिकता का अतिक्रमण करती पराभौतिक में अपनी जड़ें खोजतीं सुंदर प्रेम कविताएँ। रोहितजी को बधाई।अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-31026154808936051432017-07-09T00:42:28.705-07:002017-07-09T00:42:28.705-07:00बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-58513064628845318702017-07-09T00:41:31.174-07:002017-07-09T00:41:31.174-07:00बहुत शुक्रिया आपका संजीव जी! हार्दिक धन्यवाद बहुत शुक्रिया आपका संजीव जी! हार्दिक धन्यवाद राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-64418953003245415982017-07-09T00:40:13.889-07:002017-07-09T00:40:13.889-07:00This comment has been removed by the author.राकेश रोहितhttps://www.blogger.com/profile/02722554981514384443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-995845151512846302017-07-07T10:51:41.951-07:002017-07-07T10:51:41.951-07:00जब जब प्रेम में दुनिया होगी राकेश रोहित जी की कवित...जब जब प्रेम में दुनिया होगी राकेश रोहित जी की कविता दुनिया को रौशनी देगी । जिस यथार्थ के साथ कवि प्रेम की कल्पना करता है कि प्रेम भौतिक से पारलौकिक बन जाता है। और तब भी एक महीन सा संघर्ष नजर आ ही जाता है कि प्रेम में होना भी उतना आसान नहीं जितना प्रेम का हो जाना।<br />अद्भुत कविता ।<br />sanjivmehtahttps://www.blogger.com/profile/08473195387040872325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-4750891442112794322017-07-07T08:43:14.639-07:002017-07-07T08:43:14.639-07:00"मैंने रोशनी के एक कतरे को छुआ
और मैंने धरती ..."मैंने रोशनी के एक कतरे को छुआ<br />और मैंने धरती पर खिलता उजाला देखा।"<br /><br />सुन्दर सृजन!<br />प्रस्तुति के लिए आभार!<br />अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com