अमित आनंद |
अमित आनंद का परिचय इसलिए भी देना जरूरी है क्योंकि वे पहली बार किसी
ब्लॉग पर अपनी कविताओं के साथ उपस्थित हैं। उनकी कविताएं पढ़ते हुए हम एक ऐसी
दुनिया में जाते हैं, जो आज के शोर भरे समय में हमारी आंखों से ओझल है।
उनकी
कविताओं में एक तरह की पीड़ा और एक तरह का शोक है जिसे हम आज के समय की पीड़ा और
शोक कह सकते हैं। बावजूद इसके इनकी कविताएं उम्मीद की लौ की तरह हैं जो एक कवि और कविता दोनों
के लिए आश्वस्ति की बात है।
अमित की कविताओं पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
उम्मीद
नुक्कड़ की
उजाड़ सी टंकी के नीचे
भूरी कुतिया ने
आज जने हैं -
नन्हे नन्हे से गोल मटोल
छै पिल्लै
कोई चितकबरा कोई झक्क सफ़ेद
एक भूरा
कुछ काले से
"भूरी"
बेहतर जानती है
बेरहम सडकों का दर्द
कई सालों से
वो खोती आई है
यूँ ही
मासूम नन्ही जानें
सड़क के किनारे
कभी ट्रक /कभी बस
साइकिल /रिक्सा
कभी कभी तो किसी नसेड़ी की लात,
हर बार
"भूरी" की ममता सड़क पर मसल उठती है,
पर
"भूरी" हर बार की तरह
पालती है-
एक भरम
और
टूटी हुयी टंकी के नीचे
पसर जाती है -
अपनी ममता
और
छै मासूम पिल्लों के साथ!
इस बार शायद दो से ज्यादा बच जाएँ!
मेरा आखिरी मंचन करो
तुम्हारा -रंगमंच
तुम्हारे पात्र
तुम्हारा कथानक
तुम्हारी ध्वनियाँ
प्रकाश तुम्हारा,
तुम्हारा निर्देशन
तुम्हारा अनावरण
पटाक्षेप तुम्हारा,
सुनो-
बहुत त्रासद है
तुम्हारी एकांकी
झरती आँखें
भीड़ की सिसकियाँ
मैं नहीं सह सकता अब
मेरा आखिरी मंचन करो
या फिर
अब मुझे
नेपत्थ्य दे दो!
मासूम
शहर के पिछवाड़े...
बीराने से
आया वो
मोटरों पर
ईंट फेंकता
अपने घावों की मक्खियाँ उडाता
ख़ुशी के गीत रोता
अधनंगा पागल
बन जाता है
मासूम बच्चा
रोटियां देखकर!
मैं आदमी
मैं दंगाई नहीं
मैं आज तक
नहीं गया
किसी मस्जिद तक
किसी मंदिर के अन्दर क्या है
मैंने नहीं देखा
सुनो
रुको
मुझे गोली न मारो
भाई
तुम्हे तुम्हारे मजहब का वास्ता
मत तराशो अपने चाक़ू
मेरे सीने पर
जाने दो मुझे
मुझे
तरकारियाँ ले जानी हैं
माँ
रोटिया बेल रही होंगी!
आखिर में प्यार
उफनते दूध सी
तुम्हारी नेह...
ढलकती ही रही बार बार
और
सारे गिले शिकवे
प्यार मनुहार
बहते रहे...
बहती रहीं सुधियाँ
स्नेह
आलिंगन
स्पर्श ....
सब कुछ
और
आखिर मे
परिस्थिति के चूल्हे पर
देह का खाली बर्तन
सूना पड़ा था!!
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नाम- अमित आनंद पाण्डेय
जन्म- २७ नवम्बर १९७७
शिक्षा- स्नातकोत्तर
सम्प्रति- कंप्यूटर व्यवसाय
संपर्क-
ई-वर्ल्ड
पीली कोठी, रोडवेज तिराहा
गांधीनगर , बस्ती
उत्तर प्रदेश -२७२००१
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
अमित पाण्डेय फेसबुक पर मेरे आत्मीय कवि रहे हैं.. इनकी आम कविताओं में मिट्टी की गंध पूरे सोंधेपने से टेर लगाती है तो इनकी प्रेम कविताओं में मौजूद हरसिंगार की खुशबू सच में बासी अहसास पर नरम स्पर्श की मरमरी परत चढाने में सक्षम. उनकी कविताओं में मौजूद सुगनी जैसी किरदार अपनी उपस्थिति मात्र से दृश्य को जिंदा कर देती हैं . आने वाले समय में मुझे इस युवा कवि से सबसे ज्यादा उम्मीद है.. नीम हकीम समय की पहरुआ हैं अमित की कवितायेँ.. शुभकामनयें प्रिय कवि को.. शुक्रिया अनहद..
ReplyDeleteअमित की कविता पर तुम्हारी टिप्पणी गाली की तरह है लकडसुंघा हो तुम
Deleteक्यों भाई अनामदास (anonymous) जी, आपको क्या समस्या है शायक जी की टीप से? लगता है न तो आपको अमित की कविता ही समझ में आयी और न ही शायक की टीप...भगवान् भला करे आपकी कविता की समझ को !!
Deleteha ha :-)
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया अमित जैसे देसज कवि को प्रोत्साहित करने के लिए .. आपने बिलकुल ठीक कहा की "उनकी कविताएं पढ़ते हुए हम एक ऐसी दुनिया में जाते हैं, जो आज के शोर भरे समय में हमारी आंखों से ओझल है " अमित जो अपनी कविताओं में कभी बुद्ध के बुद्धत्व के ऊपर यशोधरा के दुःख रख देता हैं .तो कभी राम को कहता हैं "हम कुछ और नहीं तुम्हारी ही तली के अँधेरे हैं" यह अपनी कविताओं से कभी टंकी के निचे जने पिल्लों में भी मातृत्व की पवित्र गूंज उठा देता हैं, .. सराहनीय कार्य किया आपने .. आपका आभार और अमित को बधाई ..!
ReplyDelete-Aharnishagar
vimlesh bahut alag dhang ki kavitaein padhwane ke lie dhanyawad
ReplyDelete''कस्तूरी'' के बाद ....एक बार फिर अमित को यहाँ पढ़ना सुखद रहा ...ऐसे खूब खूब लिखो अमित :))))
ReplyDeleteachchi lagin,,,
ReplyDeleteप्रभावी कवितायेँ | सभी कवितायें मर्म को छूने वाली हैं...
ReplyDeleteTrue poetry!!
ReplyDeleteअमित भाई से कविता के पाठकों को उम्मीदें है। इनमें संभावनाएं है एक सशक्त कवि की उपस्थिति दर्ज करने की। ‘और भी फलित होगी यह छवि!’
ReplyDeleteआपने कहा कि ‘....वे पहली बार किसी ब्लॉग पर अपनी कविताओं के साथ उपस्थित हैं।’ यह तथ्यात्मक रूप से दुरुस्त नहीं है। इनकी ये कविताएं इसका प्रमाण हैं, पोस्ट है http://wp.me/p1CJf5-g9
shukriya jo in kavitao se parichay karaya
ReplyDeleteAmit ka jabab nahi...
ReplyDeleteमित्र अमित को पिछल्ले छ–सात महिनों से पढ रहा हुँ । अमित की कविताएँ पृथ्वी के हर चरअचर प्राणी के दर्दको बयान करने की क्षमता रखते हैं । कभी हमारे अपने आपसी रिस्तेनातों के महीन धागे सी सम्बन्ध को गजब बुनती हैं ये कविताएँ । कभी हमारे समाज को गजब उतारती हैं ये कविताएँ ।
ReplyDeleteये कविताएँ हमें जीवन में आशावान बनाती हैं कभी हमें रुलाती हैं । कभी जीवन में हारते हारते जिताते हैं ये सुन्दर कविताएँ । ये कविताएँ आँसु के बारे मे हैं । ये कविताएँ हम में अभी भी बाँकी ईन्सानियत के बारे में हैं और इस तरह हम ईन्सानों का अच्छा परिचय बताती हैं ये कविताएँ । सरल शब्दों में गम्भीर, गहिरी और सुन्दर कविताएँ ।
शब्दों के जादूगर
ReplyDeleteकविता से मेरा पहला परिचय
ReplyDeleteजो सुखद रहा