tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post1461536524866698119..comments2023-09-28T03:22:45.585-07:00Comments on अनहद कोलकाता: प्रदीप सैनी की प्रेम कविताएंविमलेश त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-6357476438300119632012-08-21T21:13:18.551-07:002012-08-21T21:13:18.551-07:00दुनियादारी से ताल मिलाते ही
प्रेम की लय से भटक जात...दुनियादारी से ताल मिलाते ही<br />प्रेम की लय से भटक जाता हूँ मैं<br />ऐसा ही कोई लम्हा होता है जब<br />गिरते हुए सुर को पकड़ने के लिए<br />ज़िन्दगी से बाहर छलांग लगा सकता है कोई सच्चा साधक<br /> ,..बहुत अच्छी लगी आपकी सारी कविताये ,..अच्छा लगा पढकर शुक्रिया आपको ।Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-10486394387321843072012-08-18T03:48:18.470-07:002012-08-18T03:48:18.470-07:00कुलीन जी .......... विमलेश भाई ने आपको रास्ता बता ...कुलीन जी .......... विमलेश भाई ने आपको रास्ता बता दिया है ....... अपनी कवितायेँ उन्हें जरूर भेजें |pradeep sainihttps://www.blogger.com/profile/01713398453259407318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-11993812434432593572012-08-18T03:42:42.256-07:002012-08-18T03:42:42.256-07:00आप सभी का शुक्रिया जिन्होंने कवितायों को अपना समय ...आप सभी का शुक्रिया जिन्होंने कवितायों को अपना समय दिया ........आपकी प्रतिक्रियाओं से बेहतर लिखने की ऊर्जा मिली और ये भरोसा भी कि जो थोडा बहुत अभी तक लिख पाया हूँ .....वो प्रयास व्यर्थ नहीं गया..........विमलेश भाई .....आभार |pradeep sainihttps://www.blogger.com/profile/01713398453259407318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-86763770700665219202012-08-18T00:14:13.597-07:002012-08-18T00:14:13.597-07:00भाई कुलीन जी अगर आप वाकई अच्छा लिखते हैं तो आपकी क...भाई कुलीन जी अगर आप वाकई अच्छा लिखते हैं तो आपकी कविताएं हम आवाम तक पहुंचाएंगे। आप अपनी कुछ अच्छी कविताएं मुझे bimlesh.tripathi@saha.ac.in पर भेज दिजिए। कविताएं पसंद आने पर हम अपने ब्लॉग पर छापेंगे। आपका आभार.... <br />सभी मित्रों का बहुत-बहुत अभार...विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-13381473724164213782012-08-17T09:09:02.790-07:002012-08-17T09:09:02.790-07:00प्रदीप तो अच्छा लिखते ही हैं,उन्हें बधाई ! मैं स्व...प्रदीप तो अच्छा लिखते ही हैं,उन्हें बधाई ! मैं स्वयं भी बहुत अच्छा लिखता हूँ.....ऐसा लोग कहते हैं......मेरी कवितायें आप लोगों तक और बहुसंख्यक अवाम तक कैसे पहुँच सकती हैं......यदि संभव हो तो मार्गदर्शन कीजियेगा |kulin kumar joshihttps://www.blogger.com/profile/17574477041702250841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-44691044294540149312012-08-16T10:17:31.049-07:002012-08-16T10:17:31.049-07:00प्रदीप वह लिखता है जो उसे लिखना होता है . यह साहस ...प्रदीप वह लिखता है जो उसे लिखना होता है . यह साहस बहुत ही कम लोगों मे होता है. लिखते रहो भाई . अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-34898847160818558742012-08-16T04:05:23.372-07:002012-08-16T04:05:23.372-07:00प्रदीप सैनी जी की कविताओं से गुजरना जैसे एक जीवन म...प्रदीप सैनी जी की कविताओं से गुजरना जैसे एक जीवन में उतरे हुए कवि के अंतस में उपस्थित जीवनबोध को उसके अद्भुत समूचेपन में साकार कर शब्दों में उकेर देता है उनका ठहराव दुनियावी गणित की तेज गति के मध्य बेहद सुकून देते हुए कह उठता है देखो ... दिखी मेरी झलक ... मै जीवन का अनंत स्वर हूँ ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-6237644830141625032012-08-16T01:35:44.199-07:002012-08-16T01:35:44.199-07:00किसी गुम चोट के अंदेशे पर बुला लेते हैं मिस्त्री
ज...किसी गुम चोट के अंदेशे पर बुला लेते हैं मिस्त्री<br />जो मुआयने के बाद<br />औज़ार समेट कर लौट जाता है चुपचाप<br />जैसे जान गया हो घर का<br />कौन सा दुःख रिसता है यहाँ<br />जिसे रोक पाना उसके बस की बात नहीं.....<br />....<br />सभी कवितायें सुंदर हैं , प्रदीप जी को बधाई !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-66709972109120388662012-08-15T08:42:00.741-07:002012-08-15T08:42:00.741-07:00kavita main pradeep bhayi ki dastak kuchh apane ta...kavita main pradeep bhayi ki dastak kuchh apane tarah ki hai....unake yahan shorgul nahin hai par kavita ke bhetar shant jheel ki tarah ek halchal hai jo seedhe dil par asar karati hai. pradeep prem ki gahari anubhooti ke kavi hain. .....mujhe bahut pyare hain. Mahesh Chandra Punethahttps://www.blogger.com/profile/09695768908018459567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-5494455072641824942012-08-15T08:06:50.491-07:002012-08-15T08:06:50.491-07:00बहुत सुंदर एवं सशक्त कवितायेँ , आभार बहुत सुंदर एवं सशक्त कवितायेँ , आभार Nityanand Gayenhttps://www.blogger.com/profile/14656349243336915008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-56428473820111510472012-08-14T09:02:47.551-07:002012-08-14T09:02:47.551-07:00भाई बहुत अच्छी प्रेम-पगी कविताएं हैं। बधाई। भाई बहुत अच्छी प्रेम-पगी कविताएं हैं। बधाई। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-79125376514801018392012-08-14T07:18:32.214-07:002012-08-14T07:18:32.214-07:00जो देह नहीं है और मुझे घेरे हुए है...आदमी की असल श...जो देह नहीं है और मुझे घेरे हुए है...आदमी की असल शिनाख्त खोजते इस कवि को शुभकामनाएं और छापक को धन्यवाद।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04419500673114415417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-44388712896575916952012-08-14T06:00:31.338-07:002012-08-14T06:00:31.338-07:00पहली कविता में कुछ 'था' अतिरिक्त लगे.
प्र...पहली कविता में कुछ 'था' अतिरिक्त लगे.<br /><br />प्रदीप की काव्यभाषा के अलग से पहचाने जाने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है उसका अर्थवान होना, अपने कथ्य के साथ कुछ इस तरह सहजता से सामने आना कि कविता भीतर उतरे और देर तक गूंजती रहे. 'दुनियादारी से ताल मिलाते ही प्रेम की ताल के भटक जाने के खतरे से सावधान इस कवि को बहुत लंबा सफ़र करता देखना चाहूंगा. <br /><br />कविता पढवाने के लिए विमलेश का आभार तो बनता ही है. Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-90354840191322798372012-08-14T03:53:40.772-07:002012-08-14T03:53:40.772-07:00आप जब नींद में होते हैं
तब भी ख़ामोश नहीं होता संग...आप जब नींद में होते हैं<br />तब भी ख़ामोश नहीं होता संगीत<br />कोई आदिम धुन<br />आपके सपनों में रास्ता तलाशती है<br /><br />प्रेम<br />आपको एक वाद्ययंत्र में तबदील कर देता है।<br />......!!! सच !सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com