tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post6002051729904016415..comments2023-09-28T03:22:45.585-07:00Comments on अनहद कोलकाता: नील कमल की एक कविता श्रृंखलाविमलेश त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-78781728943655192222011-06-07T03:06:14.052-07:002011-06-07T03:06:14.052-07:00phir se padhi aur maanti hoon ki yah shandaar kavi...phir se padhi aur maanti hoon ki yah shandaar kavita baar baar padhne yogy hai. sabhar.लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-39984183214273326942011-05-01T09:56:06.189-07:002011-05-01T09:56:06.189-07:00शब्दों के भ्रमजाल से दूर विचारों की सुन्दर अभिव्यक...शब्दों के भ्रमजाल से दूर विचारों की सुन्दर अभिव्यक्ति. बहुत अच्छी सुन्दर कविताएं. बधाई<br />- लीना मल्होत्राleenahttp://lee-mainekahablogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-35355449817270044522011-04-27T21:12:55.784-07:002011-04-27T21:12:55.784-07:00एक शब्द चमक सकता था
अंधेरे में जुगनू बन
एक शब्द कह...एक शब्द चमक सकता था<br />अंधेरे में जुगनू बन<br />एक शब्द कहीं धमाके के साथ<br />फट सकता था<br />सोई चेतना के ऊसर में<br />एक शब्द को लोहे में<br />बदल सकते थे हम<br />धारदार बना सकते थे उसे<br />हमसे नहीं हुआ इतना भी,<br />इतना भी न हुआ..<br /><br />यही तो सब कहते हैं कि--<br />हम से यह भी न हुआ ..........<br />ऐसे आत्म-धिक्कार में हम सब जी रहें हैं !<br />लेकिन क्या कहीं कोई उम्मीद नहीं बची ?<br />क्या हमारे जीने का औचित्य और सार्थकता ख़त्म हो गई ?<br />नहीं , मैं इसे नहीं मानता ! जब तक धरती पर मनुष्य है,<br />मनुष्यता है ,तब तक उम्मीद है !<br />"कोशिश करो,कोशिश करो <br /> जीने की <br /> ज़मीन में गड़ कर भी ........" ( मुक्तिबोध )<br /><br />नीलकमल जी की कविता बहुत ही सुन्दर है ! ख़ास कर इसकी सहज भाषा जो उन्हें स्वाभाविक कवि के रूप में स्थापित करती है ! कविता निराशा के स्याह रंगों में लथपथ है और उसकी कारुणिकता उद्वेलित करती है और प्रेरित भी कि हम उचक कर किसी रोशनी की तलाश करें !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-84080609296514225982011-04-27T20:44:45.222-07:002011-04-27T20:44:45.222-07:00बांझ कोख सी उदासी में
डूबी है दुनिया
जिसकी बेहतरी ...बांझ कोख सी उदासी में<br />डूबी है दुनिया<br />जिसकी बेहतरी की उम्मीद में<br />जागती आंखें झुकी रहती हैं<br />क्षमा-प्रार्थना की मुद्रा में इन दिनों<br />होठों से धीमे- धीमे<br />निकलता है स्वर,<br />क्षमा ! क्षमा ! बस क्षमा !!<br />कहते हैं हम एक-दूसरे से ।<br />.............बहुत खूब !!!सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-86337563938106321052011-04-27T11:07:02.407-07:002011-04-27T11:07:02.407-07:00बेचैन और सोचने पर मजबूर करती कविताएं। अच्छी लगीं।बेचैन और सोचने पर मजबूर करती कविताएं। अच्छी लगीं।Shail Agrawalhttp://www.lekhni.netnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-56698515884482266962011-04-27T09:44:15.928-07:002011-04-27T09:44:15.928-07:00bahut khubsurat kavitayen ....bahut khubsurat kavitayen ....वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-89122760198392440332011-04-27T09:30:31.557-07:002011-04-27T09:30:31.557-07:00सुन्दर अभिव्यक्तिसुन्दर अभिव्यक्तिOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-83592563995607533722011-04-27T09:27:11.636-07:002011-04-27T09:27:11.636-07:00neelkamal ji ko badhai! poori shrikhala sundar hai...neelkamal ji ko badhai! poori shrikhala sundar hai ..अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.com