tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post7890801555869562477..comments2023-09-28T03:22:45.585-07:00Comments on अनहद कोलकाता: लेखक संगठनों की भूमिका और हिन्दीः नील कमलविमलेश त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-67785852348869525242013-02-05T23:57:46.691-08:002013-02-05T23:57:46.691-08:00शुक्रिया.............शुक्रिया.............विमलेशhttp://bimleshtripathi.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-15031859214700109032013-02-01T03:31:10.820-08:002013-02-01T03:31:10.820-08:00यहां भी तो मजदूर ट्रेड युनियन सा वातावरण है यह जान...यहां भी तो मजदूर ट्रेड युनियन सा वातावरण है यह जानकर बहुत दुख हुआ कि लेखन साहित्य क्षेत्र से जुडे बहुतेरे लोग और मछली बेचने वालो मे कोइ अंतर नही है ।जब लेखको का यह हाल है तो मजदूरो का क्या होगा बहरहाल समस्या प्रधान ज्ञान वर्धन के लिये धन्यवादAnavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8143915090672261064.post-9673572062311365092013-01-30T05:16:39.487-08:002013-01-30T05:16:39.487-08:00नये लेखक ऐसा सोचेंगे तो जरूर बदलाव आएगा। बधाई।नये लेखक ऐसा सोचेंगे तो जरूर बदलाव आएगा। बधाई।Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.com